‘क़िस्से साहित्यकारों के’ - ‘हिंदी से प्यार है’ समूह की परियोजना है। इस मंच पर हम  साहित्यकारों से जुड़े रोचक संस्मरण और अनुभवों को साझा करते हैं। यहाँ आप उन की तस्वीरें, ऑडियो और वीडियो लिंक भी देख सकते हैं। यह मंच किसी साहित्यकार की समीक्षा, आलोचना या रचनाओं के लिए नहीं बना है।

हमारा यह सोचना है कि यदि हम साहित्यकारों से जुड़े संस्मरण और यादों को जो इस पीढ़ी के पास मौजूद है, व्यवस्थित रूप से संजोकर अपनी आने वाली पीढ़ी को दे सकें तो यह उनके लिए अनुपम उपहार होगा।



शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

महादेवी जी का वह वाक्य

         नागपुर से साबरमती जाने के लिए एक हिंदी प्रेमी ने अपनी ऐम्बैसडर कार मय ड्राइवर, आचार्य किशोरीदास  वाजपेयी ,डॉक्टर विजयेंद्र स्नातक और महादेवी जी जैसे बुजुर्गों के लिए भेजी थी। महादेवी जी ने मेरे लिए बुलावा भेजा कि मैं भी उनके साथ कार में चलूँ जब कि हम लोग बस से जाने वाले थे। मैं महादेवी जी से मिलने पहुँचा। महादेवी जी कार में बैठी थीं और डॉक्टर स्नातक और आचार्य वाजपेयी आने वाले थे। महादेवी जी ने कहा कि मेरे साथ बैठना है तुम्हें। मैंने उनसे निवेदन किया कि ‘दीदी मेरे सभी मित्र बस से चल रहे हैं ,हम सब युवा गाते बजाते जाएँगे।’

  उन्होंने जो कहा ,मैं सुन कर दबी हँसी से हामी भरने के सिवाय कुछ न कह सका ।

उन्होंने कहा था “ मुझे नहीं जाना बूढ़ों के साथ

                                             - हरीश नवल की स्मृतियों से


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