‘क़िस्से साहित्यकारों के’ - ‘हिंदी से प्यार है’ समूह की परियोजना है। इस मंच पर हम  साहित्यकारों से जुड़े रोचक संस्मरण और अनुभवों को साझा करते हैं। यहाँ आप उन की तस्वीरें, ऑडियो और वीडियो लिंक भी देख सकते हैं। यह मंच किसी साहित्यकार की समीक्षा, आलोचना या रचनाओं के लिए नहीं बना है।

हमारा यह सोचना है कि यदि हम साहित्यकारों से जुड़े संस्मरण और यादों को जो इस पीढ़ी के पास मौजूद है, व्यवस्थित रूप से संजोकर अपनी आने वाली पीढ़ी को दे सकें तो यह उनके लिए अनुपम उपहार होगा।



सोमवार, 14 अगस्त 2023

 आज मैथिलीशरण गुप्त जयन्ती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है।

     रजनी गुप्त का उपन्यास 'कि याद जो करें सभी'  राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जीवनीपरक उपन्यास है जो वर्ष 2021 में वाणी प्रकाशन से आया है। इस उपन्यास के पृष्ठ 230 पर एक घटना का ज़िक्र है जो इस प्रकार है :

    26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किले में एक साथ दो सम्मेलन आयोजित किए गए - अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और उर्दू मुशायरे का आयोजन जश्न-ए-जम्हूरियत। कुछ हिन्दी साहित्यसेवियों और साहित्यप्रेमियों के मन में इच्छा जगी कि प्रधानमंत्री पंडित नेहरू इस कार्यक्रम का उद्घाटन करें। वे सब मिलकर नेहरू जी के पास गए और अपनी इच्छा जाहिर की। नेहरू जी ने पलटकर जवाब दिया - "इस कार्यक्रम की अध्यक्षता तो मैथिलीशरण गुप्त कर रहे हैं। उसी दिन शाम को चंडीगढ़ के किसी समारोह में मुझे मुख्य अतिथि के रूप में जाना है। बड़ी समस्या है, क्या किया जाए?"

    थोड़ी देर बाद पंडित जी दूसरे कमरे से आकर बोले - "जो भी हो, हम उसी दिन शाम को चंडीगढ़ से दिल्ली आठ बजे तक लौट सकते हैं। कपूर, तुम्हें ध्यान नहीं है, उस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता मैथिलीशरण गुप्त कर रहे हैं। यह कैसे मुमकिन है कि हम स्वीकार करके भी उसमें न जायें।"

     उस कवि सम्मेलन में देश के प्रधानमंत्री ख़ुद शरीक हुए और इस अवसर पर उन्होंने अपना ऐतिहासिक भाषण दिया। इस समय मैथिलीशरण ने अपने बटुए से नेहरू जी के सम्मानार्थ पान पेश किया तो वह इनकार नहीं कर सके जबकि नेहरू जी पान खाते नहीं थे। दोनों के बीच आपस में अत्यधिक सम्मान और एक दूसरे के प्रति गहरी आत्मीयता थी जिसे हिन्दुस्तान के इतिहास में अक्सर याद किया जाता है। दोनों भद्रजनों की आपसी मित्रता बेहद पारदर्शी थी और वे एक दूसरे की दिलोजान से इज़्ज़त करते थे।

रघुवंश की प्रस्तुति, द्वारा अनूप श्रीवास्तव


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