एक विशेष घटना वैदिक जी के संदर्भ में प्रस्तुत है :
राष्ट्रपति भवन में एक लघु समारोह था।राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा द्वारा एक पुस्तक का लोकार्पण था।केवल दस नागरिक आमंत्रित थे जिनमे डॉक्टर वैदिक और मैं भी थे।वह दिन था ३० दिसम्बर।लोकार्पण हुआ,धन्यवाद प्रस्ताव भी हो गया।सब विदा हेतु खड़े हो गए।अचानक वैदिक जी सारे प्रोटोकोल तोड़ कर राष्ट्रपति की ओर तेज़ी से बढ़े और इस से पहले कि अंगरक्षक आगे बढ़ते,वैदिक जी ने शंकरदयाल शर्मा जी के चरण स्पर्श करते हुए कहा ,”महामहिम मैं आपका विद्यार्थी रहा हूँ,आज मेरा जन्मदिन है ,आशीर्वाद चाहता हूँ “
राष्ट्रपति जी हंस पड़े और वैदिक जी को गले लगाते हुए एक श्लोक पढ़ आशीष दिया।
वैदिक जी वापिस अपने स्थान की ओर लौटे,राष्ट्रपति जी ने कहा,”किसी और का भी जन्मदिन हो,वे भी आशीर्वाद लगे हाथ ले लें”
मैंने वैदिक जी से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्रपति जी को बताया कि मेरा जन्मदिन एक सप्ताह बाद है ।वैदिक जी तुरंत बोले,” अरे तो आशीर्वाद ले लो फिर कब यहाँ आना होगा…
और मुझे भी आशीर्वाद मिल गया
हरीश नवल की स्मृति से
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