'इश्क़ जल रहा है'
एक बार मैं अपने पति रॉबिन शॉ पुष्प के साथ रेणु जी के घर गई. ‘धर्मयुग’ के होली विशेषांक के लिए रेणु जी के लंबे बालों के बारे में इंटरव्यू लेना था. वे घर पर अकेले ही थे. उस दिन धूप बहुत कम थी. विचार हुआ कि पहले छत पर जाकर फ़ोटो ले ली जाए फिर आराम से बातें होंगी. ऊपर से जल्दी-जल्दी फ़ोटो खींचकर हम नीचे उतर आए. तब तक कुछ और लोग भी आ गए. रेणु जी अपनी फिल्म ‘तीसरी कसम’ के अनेक संस्मरण सुनाने लगे. संस्मरणों का उनके पास अकूत भंडार था।
वे बताने लगे कि ‘तीसरी कसम’ की शूटिंग के दौरान कैमरामैन सुब्रत मित्र, वहीदा रहमान से उर्दू सीख रहे थे. उन्होंने उर्दू के कुछ शब्द और उनके अर्थ लिख लिए थे. जब भी समय मिलता वे, रटने लगते- आफ़ताब, मेहताब, इश्क, अश्क, आतिश...
एक दिन शॉट लेना था. सीन था कि वहीदा रहमान जलती हुई आग के पास बैठी हैं. तैयारी शुरू हुई. लकड़िया लाई गयीं. सुब्रत मित्र ने कैमरा संभाला और बेचैनी से वहीदा जी का इंतज़ार करने लगे. जैसे ही वहीदा जी दिखीं, वे वहीं से चिल्लाए, “बोहिदा जी, जल्दी आइए, इश्क जल रहा है. हम काब से इंतजार कर रहा है.”
‘आतिश’ की जगह ‘इश्क’ के जलने की बात सुनकर वहीदा जी और सेट पर उपस्थित सभी लोग हंस पड़े.
अभी रेणु जी के संस्मरण टेप रिकॉर्डर की तरह चल ही रहे थे कि मैंने बीच में टोका, “सच में कहीं कुछ जल रहा है, ऐसा मुझे लग रहा है.”
रेणु जी ठहाका लगाकर हंसे, “अरे, महिलाओं को यह सब गंध बड़ी जल्दी आती है. इतने फ्लैट्स हैं. कहीं कुछ जल रहा होगा.”
सभी आगंतुक पुरुष ‘हो-हो’ कर हंसने लगे. मैं चुप रह गई. कुछ देर बाद हमने कहा, “अब चला जाए.” सब ड्राइंग रूम से उठे. रेणु जी हमें छोड़ने सीढ़ियों तक आए. बीच में ही उनका किचन पड़ता था. किचन में धुआं उठ रहा था
उनकी पत्नी बाजार जाते हुए उन्हें चावल देखने को कह गई थीं, वही चावल जल रहे थे। उन्होंने जलते चावल का पतीला हाथ से उठा लिया और हू हा करने लगे। तब मैंने जाकर गैस बंद की। उनके हाथ पानी के कटोरे में डाले।
-गीता पुष्प शॉ की स्मृति से (प्रस्तुति -वीणा विज 'उदित')
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