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मंगलवार, 1 अगस्त 2023

'असाध्य वीणा' अज्ञेय के स्वर में




'आँगन के पार द्वार' में संकलित 'असाध्य वीणा' नामक यह लम्बी कविता अज्ञेय जी रचनाओं में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है | प्रस्तुत है स्वयं अज्ञेय जी की गुरु गंभीर वाणी में इस कविता का पाठ-







स्रोत - अज्ञात, प्रेषक - डॉ. अशोक प्रियदर्शी

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