नागपुर से साबरमती जाने के लिए एक हिंदी प्रेमी ने अपनी ऐम्बैसडर कार मय ड्राइवर, आचार्य किशोरीदास वाजपेयी ,डॉक्टर विजयेंद्र स्नातक और महादेवी जी जैसे बुजुर्गों के लिए भेजी थी। महादेवी जी ने मेरे लिए बुलावा भेजा कि मैं भी उनके साथ कार में चलूँ जब कि हम लोग बस से जाने वाले थे। मैं महादेवी जी से मिलने पहुँचा। महादेवी जी कार में बैठी थीं और डॉक्टर स्नातक और आचार्य वाजपेयी आने वाले थे। महादेवी जी ने कहा कि मेरे साथ बैठना है तुम्हें। मैंने उनसे निवेदन किया कि ‘दीदी मेरे सभी मित्र बस से चल रहे हैं ,हम सब युवा गाते बजाते जाएँगे।’
उन्होंने जो कहा ,मैं सुन कर दबी हँसी से हामी भरने के सिवाय कुछ न कह सका ।
उन्होंने कहा था “ मुझे नहीं जाना बूढ़ों के साथ “
- हरीश नवल की स्मृतियों से
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